गोवर्धन पर्वतों का राजा और हरि का प्यारा है

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गोवर्धन पर्वतों का राजा और हरि का प्यारा है। इसे भगवान कृष्ण का स्वरुप और उनका प्रतीक भी माना जाता है और पूजा भी की जाती है। इंद्र की पूजा छीनकर गोवर्धन पूजा कराने वाले सात बरस के सांवरे को ब्रजभूमि एवं ब्रजजनों का अस्तित्व बचाने के लिए सात दिन सात रात तक सात कोस गिरिराज को बांये हाथ की कनिष्ठका अंगुली पर धारण करना पड़ा था। भक्तों की रक्षा के लिए भगवान को न सिर्फ अवतार लेना पड़ा बल्कि कष्ट भी सहन करने पड़े।
जो शुद्ध भाव से भग्वत चरण में सादर समर्पित, संतुष्ट, प्रसन्न रहता है वही अपने अंतस में विद्यमान परमात्मा के दर्शन कर पता है ।

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